section): ज़िंदगी क्या है?,दुख क्या होता है?ज़िंदगी दो तरह का होता है

ज़िंदगी क्या है?,दुख क्या होता है?ज़िंदगी दो तरह का होता है

ज़िंदगी क्या है?ये सवाल सभी इंसान के मन आता है क्योंकि ज़िंदगी के बारे में जानना जरुरी है 

ज़िंदगी भी दो तरह का होता है 

(1)ज़िंदगी जीना 

(2)ज़िंदगी काटना

(1)ज़िंदगी जीना:-ज़िंदगी जीना उसे कहते है जो ज़िंदगी  से हार कर भी ज़िंदगी जीता है चाहे कितनी भी परेशानी आ जाये,लेकिन से दूर नही जाता और न ही ज़िंदगी से हारता है ज़िंदगी बड़े शानदार से जीता है उसे पता है कि ज़िंदगी जीना है तो ज़िंदगी से लड़कर ज़िंदगी जीना है क्योंकि ज़िंदगी में अनेक प्रकार की प्रक्रिया आती-जाती है जैसे दुख और सुख दोनों ही एक दूसरे से जुड़े है तभी तो जीवन की प्रक्रिया कहा जाता है अगर जीवन भर सुख ही मिले इंसान को क्या?पता चलेगा कि दुख क्या?होता है जीवन का कहना है कि दुख भी जीवन का अहम हिस्सा है|


दुख क्या होता है?

प्रत्येक मनुष्य के जीवन एक न एक बार या फिर बार-बार आता है दुख,कई लोग अपने जीवन से इतने नाराज़ हो जाते है कि जीवन में मरने की बात कहते है क्योंकि वो ज़िंदगी से हताश होकर ज़िंदगी से ही नाराज़ हो जाते है ज़िंदगी से नाराज़ होने का मतलब है कि ज़िंदगी से दूर जाना या मौत के करीब आना,इसलिए कहा जाता है कि जीवन से जुड़ी कुछ बातें अपने परिवार वालों को या फिर अपने आपपास लोगों को भी बता दिया करो,क्योंकि आज के समय में जिंदगी को समझने में लोग ज़िंदगी लगा देते है लेकिन जिंदगी को समझ नही पाते है समय अपनी रफ्तार से चलता-रहता है क्योंकि समय को कोई भी नही रोक सकता और इसी तरह जिंदगी भी चलता-रहता है फिर हम लोगों को बीती जिंदगी याद आता है क्योंकि जो वक़्त बीत जाता है वो वक़्त बहुत याद आता है


(बीती ज़िंदगी हमें क्यों? याद आता है क्योंकि बीती ज़िंदगी में हमारा बीता पल होता )

जैसे समय बीतता जाता है वैसे-वैसे हमारी ज़िंदगी भी ढलता जाता है जब भी हम ख़यालो में आते है तो बीती ज़िंदगी को यादो में दोहराते है क्योंकि बीती जिंदगी में हमारे वक़्त हमारे गुण,भाव,जीवन,आदि को दर्शाया गया है भाव के कारण ही ज़िंदगी के कुछ पल बहुत काश होते है उन्हें हम अभी भी खोना नही चाहते है क्योंकि वो पल ही ऐसा होता है जीवन के आख़िरी साँस तक भी वो पल याद आता है इसलिए कुछ लोग जीवन के कुछ पल को यादों में रख लेते है फिर ऊस पल को यादों में ही दोहराते है फिर उस पल को बड़े करीब से देखते है


(2)ज़िंदगी काटना:-आप लोगों ने अक्सर किसी न किसी लोगों के मुँह कहते सुने होंगे कि यार ज़िंदगी बस कट रही है या कट रहा है यही तो लोग ज़िंदगी को काटते है क्योंकि जीवन प्रक्रिया में लोग घुल जाते है और ज़िंदगी क्या?है ये अक्सर जीवन में भूल जाते है,दुख आते ही खुद को दुख की पीड़ा में खुद ही घुल जाते है क्योंकि जीवन में संघर्ष करना अक्सर भूल जाते है जीवन एक न एक बार जरुर मांगता है संघर्ष आप जब तक जीवन में संघर्ष नही कर पाते जब तक आप जीवन काट रहे हो जीवन से लाचार होकर ज़िंदगी को खोना नही होता है जीवन जीना होता है 


ज़िंदगी को समझना भी जरुरी है

जीवन के दौर में अगर हम ज़िंदगी को समझ नही पाते है तो हम लोग ज़िंदगी से दूर चले जाते है,सभी इंसान को ये पता होना चाहिए कि दुख-सुख आता और जाता है दुख को लेकर ज़िंदगी से नाराज़ होकर ज़िंदगी जीना छोड़ देते है ये गलत बात है क्योंकि से लड़कर ज़िंदगी जीना होता है 


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