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सर्वसशक्ता नारी

*सर्वसशक्ता नारी *

सर्वसशक्ता:अर्थ है नारी की संपूर्ण शक्तियां को दर्शाया गया है
कि किस प्रकार नारी पुरुषों से एक कदम आगे है बढ़ रही है
सभी प्रकिया में अपना प्रदर्शन दिखा रही है समाज के अन्दर 
जा महत्वपूर्ण योगदान दे रही है आशा रते है कि भविष्य में ओर भी नारी जागरुक हो जायेगी जिसके कारण देश का विकसित हो, नारी सहने की शक्ति अधिक होती है विचार का आदर सौभाव की मानी जाती है

* समाज के बन्धक पर नारी*

पहले ज़माने में नारी पर शक्ति को रोका जाता था जिसके कारण समाज के दायरे में रहकर काम करना पड़ता था ओर
अपने विचार को व्यक्त नही कर पा रही थी गुण महिमा को समाज के दायरे से छुपाना पड़ता था चार दीवारी के अन्दर ही सब कुछ करना पड़ता था ओर नारी को समाज के बन्धक  से फँसाया जाता था समाज के बाहर लोगों का दर्पण नही दिखाया जाता था काफी पीड़ा का सामना करना पड़ता था ओर तरह-तरह की भेदभाव का भी सामना करना पड़ता था

*वर्तमान नारी*

वर्तमान में नारी अधिक जागरुकता पैदा कर ली जिसके कारण से समाज के बन्धक से उन्हें मुक्ति प्रदान हो गयी ओर चार दीवारी से बाहर अपने कदम बढ़ाये ओर नारी प्रगति ओर बढ़ती जा रही है जीवन अब अपने दायरे से जीने लगी है ओर समाज के लोगों में भी बदलाव की भावना दिखी ओर नारी के विचार ओर हाव-भाव के परखा तथा उनकी गतिविधियों पर भी नजर ढाला ,ओर संपूर्ण नारी को मौका मिला तथा अपना प्रदर्शन दिखाते हुए,एक कदम नारी बढ़ते हुए दिखाई देश सभी कार्यों पुरुषों के बार कर्म करके दिखाई है देश ऐसी नारी पर गर्व महसुस करता है,देश उसको नमन् करता है

*नारी शक्ति*

नारी ने प्रत्येक क्रिया में अपना शक्ति का दर्पण दिखाया है
नारी भी किसी से कम नही है ऐसा बनकर उन्होंने दिखाया है
संपूर्ण नारी के पास संदेश आया  है नारी किसी से भी काम नही इसलिए नारी एक नयी उम्मीद की किरण जाग उठी ओर एक नयी  स्त्रोत बनकर उभर कर आयी है इसलिए लोगों ने समाज में नारी की इज्ज़त ओर महान आत्मा की तरह देखी गयी है


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