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शायद ये शायरी

*शायरी*

क्या? ख्वाहिश रखी थी
मेरी यादों में
क्यों? छोड़कर चली गयी
अपनी ही ज़माने में

हर जगह खुश मैंने तुझे देखा था
मुझे हँसाने तु आयी थी
मेरे गरीब आकर दिल का रंग दिखा गयी थी
उसी पलकों से मुझे सताने आयी थी

कही से  गुलशन का फुल लायी थी
मेरा दिल बाँधने के लिए जंजीर लायी थी

चाँद कितना सुन्दर ये बात बताने आयी थी
हमारे ही ख्यालों में रात गुजारने आयी थी

साथ-साथ चलेगें ये बन्धन बनाने आयी थी
मेरी ही जिंदगी में प्यार को बन्धन बनाने आयी थी

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