section): मैं ज़िंदगी की चुनौतियों से लड़ रहा था

मैं ज़िंदगी की चुनौतियों से लड़ रहा था

मैं ज़िंदगी की चुनौतियों से लड़ रहा था

 उन दिनों की बात है,जब काम पर मन नही लगता था,ज़िंदगी की सोच में डूबा रहता था, ना जाने कई बार ज़िंदगी की चुनौतियों से गुजरता हूँ,ओर हर पल तन्हाईओं के
चपेट में आया हूँ,फिर भी रू से एक ही आवाज़ निकलता था,कभी ना कभी ज़िंदगी की चुनौतियों को तोडू़ँगा ऐसा मेरा दिल कहता हैं,खुद की साहस खुद ही बनता था,देखकर दुनिया मैं भी चलता था,मैं यह नही चाहता कि ज़िंदगी एक ही जगह ठहर कर रह जायेगा

मेरा दिल कहता था,एक ना एक दिन सफल होगा

दिल सोचता था,कि भारत का एक भी जगह मत छोड़ो 
हर जगह पर तुम अपनी एक कहानी बनकर निकलो
यही उम्मीद में लगा रहता था
धीरे-धीरे आर्थिक समस्या भी मुझे कही बार हालत की
नजरियों से गुजारी हैं,फिर भी हौसलों को मैं को जकड़कर पकड़ा हूँ ओर कदम पर कदम सफलता की ओर बढ़ाया,लेकिन असफलता मुझे कही बार डहलाती थी,लेकिन ज़िंदगी की सफलता मुझे कही बार फनकारती थी,मैं सब कुछ छोड़कर दिल की इच्छा को निरंतर जागाता रहा हैं,फिर भी कही जगहों निशा बनकर मैं आता रहा हैं

मैं समझ नही पा रहा था

ज़िंदगी की राह कितनी दूर तक हैं मैं धीरे-धीरे उस राह पर चल चुका था,जिसका कोई अंत ही नही हैं,ज़िंदगी क्या हैं?,वक्त क्या हैं?,हम क्या हैं?,दुनिया क्या हैं?,ईश्वर कहाँ हैं ?,हम कहाँ से आये हैं?,ओर हम कहाँ चले जायेगें? इन सवालों का जवाब शायद सही से कोई दे नही पाया हैं ओर ना ही सही से दे पायेगा,क्योंकि ये सवाल कही ना कही अपने में एक महास्वरूप हैं मेरी जिंदगी भी कुछ ऐसी ही थी ओर मैं जगहा-जगहा कुदरत की चादर को देखना चाहता था
लेकिन आर्थिक समस्या होने के कारण मैं एक ही जगह पर ठहर कर रह गया 

इसलिए मैंने सोचा पहले आर्थिक समस्या से निपट लूँ
इसके बाद मैं ज़िंदगी कुदरत के पास बीताना चाहता हूँ
कामदाम छोड़कर मैं कविता लिखने में लग गया था ओर ज़िंदगी जीतने के लिए,कड़ी मेहनत कर रहा था
ना जाने सफलता की चाबी मेरे हाथ कब? ललेगी,यह क्षण मुझे हमेशा याद रहेगा जब मेरी जिंदगी में शोहरत की आवाज़ मेरे कानो से गुजरेगी तो मैं खुद में भी एक जहान बनकर निकलूँगा

मैंने ज़िंदगी हर हालत से गुजरा हूँ

जो मेहनत का काम मिलता वही काम कर लेता था जैसे फैक्ट्री,चौकीदार,आईक्रीम बेचना,खेतों फुल तोड़ना,
रद्दी को बाँधना तथा उठना,ओर भी तरह-तरह का काम कर लेता था,पता नही क्यों मुझे कविता ना लिखी तो चैन नही मिलता था,इसलिए मैंने काम छोडकर लिखना चालू कर दीया

फिर मैंने कविता लिखकर विडियो बनना चालू कर दिया,ओर अपनी चाहत मैंने कभी छोड़ा नही धीरे-धीरे 
संकट को सहता रहा हैं और आपका काम करता हैं,कभी तक कोई उम्मीद की किरण नही दिखी हैं
भाग्य में क्या होता हैं यह भी देखेगें हैं इसलिए यह लेख लिख रहा हूँ 


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