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धरती को मनुष्य ने बदल दिया

 

एक झलक प्रकृति पर

पृथ्वी की सुन्दरता धीरे-धीरे नष्ट हो रही हैं इसका कारण हैं कि जब मनुष्य की इच्छा बढ़ती जाती हैं तो मनुष्य ही प्रकृति को नाश करने में लगें रहते हैं,प्रकृति से ही समस्त प्राणी जीवित ही हैं,अगर कुदरत का आँचल में मनुष्य नही होते तो शायद ही मनुष्य की प्रजाति इस धरती पर पाया जाता,लेकिन मनुष्य को यही बात समझ में नही आती हैं कि धरती भी माँ का ही रुप हैं,लेकिन आज के ज़माने लोग धरती नही धरती को किचड़ समझते हैं,कभी भी समय हैं कि इस माटी के अंग को पहचान लो नही तो जीवन जीना काफी कठिन हो सकता हैं जीवन की गहराई में जाकर देखोगें की प्रकृति हमारे जीवन को कितना सरल बनाती हैं

प्रकृति पास बैठने पर सुकून मिलता हैं

प्रकृति को बड़े गरीब से देखो नही तो ज़िंदगी तुम्हे देखेगी,वक्त को निकालकर प्रकृति के चरणों में जाकर बैठे, हकीक़त कहता हूँ जो सुकून आपको मिलेगा शायद ही किसी मिलेगा,लेकिन दुनिया के समय में मनुष्य इतना घुस जाते हैं कि कुछ पल भी नही हैं कुदरत के पास बीताने के लिए,प्रकृति ने ही हमसब को जीवन दिया हैं लेकिन हमसब ही प्रकृति को नष्ट कर देते हैं,अगर प्रकृति को नष्ट करते रहेगें तो,दुनिया भी उसी प्रकार नष्ट हो जायेगी,

प्रकृति को खत्म कर रहे हैं मनुष्य

 मनुष्य की जनसंख्या अधिक से अधिक हो रही हैं, तथा धरती की प्रकृति भी नष्ट पर नष्ट हो रही हैं इसका कारण हैं,कि जब मनुष्य अपने रहने का स्थान के लिए प्रकृति को पुरी तरह नष्ट कर देता हैं खुद रहने के लिए नयी ईटें का मकान बनवा लेता हैं ओर कही जगह पर तो कारखानों की पुरी दुनिया बस जाती हैं,मुझे तो ऐसा प्रतीक हो रहा हैं कि दुनिया एक ना एक दिन इंसानों की वजह से नष्ट हो जायेगी,दुनिया के मनुष्य शायद भूल चुके हैं,कि प्रकृति को नष्ट होने पर हम सब नष्ट हो जायेंगे,लेकिन मनुष्य प्रकृति के लिए नये विचारों का आविष्कार नही कर पा रहा हैं,धीरे-धीरे प्रकृति को नष्ट करने में लगें रहते हैं दुनिया के मनुष्य,मुझे इस बात का मन में दुखी होता हूँ कि हमारा अंग भी प्रकृति से जुड़ा हैं इसलिए हम सब आज के ज़माने में जीवित हैं नही तो इस धरती पर अरबों वर्ष तक कोई मनुष्य नज़र नही आता

मनुष्य को दुख में बात समझ में आती हैं

मनुष्य को जब समझ आता हैं जब उसके अंग में किसी प्रकार की बिमारी उत्पन्न हो जाती हैं तब वह अपने जीवन के बारे में सोचता रहता हैं की खास में ठीक होता लेकिन जब वह ठीक था तब वह प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता था,इसलिए कभी कुदरत को नाश करने लिए तैयार मत होना,नहीं तो जिसके सहारे आप जी रहे हो उसी को खत्म करने में लगे रहते हो,अगर आप कुदरत से प्रेम करते हो तो कुदरत भी आप से प्रेम करेगी,अगर आप कुदरत को नाश करोगो तो कुदरत भी आपको नाश करेगी,यही तो कुदरत की माया हैं 




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