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कही दूर जाकर मैं


कही दूर जाकर मैं

कही दूर जाकर मैं,एकांत में बैठा था ऐसा लगा मुझे की ज़िंदगी की रफ्तार मैंने खुद से ही रोक दी,क्योंकि मैं दुनिया की नजरें में गिर चुका था,वक्त मेरा कही रुक गया था मुझे कुछ भी समझ में नही रहा रहा था कि मेरी जिंदगी मुझसे क्या माँग रही हैं, फिर मैंने तोड़ा सा हिम्मत करके खुद को ही जागाया,ओर वक्त भी ज़िंदगी को निगार रही थी,ज़िंदगी में ऐसा लग रहा था कि किसी ने मेरी ज़िंदगी का पल छीन लिया हो,परन्तु मैं भी खुद में हार कर अपनी ज़िंदगी को बार-बार दोष रहा था,क्योंकि ज़िंदगी की राह भी मुझे बहुत तड़पाती थी,ज़माने के लोग भी बहुत बोल रहे थे,फिर भी मैं खुद को साहस देकर ज़िंदगी के कुछ पल में जी रहा था

शायद मेरी ख़ुशी कही खो गयी थी

जीवन के हर दौर पर मजबूरियां मुझे सतायी हैं,फिर भी ज़िंदगी को मैंने जीने के रुप में दे दिया हूँ,इ़ंसान भी ज़िंदगी से इतना दुखी हो जाता हैं,कि खुद को ही नष्ट कर देता हैं लेकिन खुद से जीवन नष्ट करना गलत हैं ऐसा इसलिए कहा जाता हैं कि लोग आप से कितना लगाव रखते हैं अगर आप ही जीवन को नष्ट कर दोंगे तो ज़िंदगी के साथ जो नाते हैं वह बिखर जाते हैं,और जो इंसान हमसे लगाव रखता हैं उनके दिल में दर्द भर जाता हैं हम लोगों को ना होने की वजह से काफी ज्यादा दुखी हो जाते हैं, इसलिए कभी भी ज़िंदगी को प्यार से जीना चाहिए,क्योंकि ज़िंदगी दोबारा ऐसा मोड़ नही लाती हैं एक ना एक दिन तो जाना ही पड़ेगा लेकीन ज़िंदगी को सही तरीके से जी कर जायेगें


जब अपने लोग ही नाता तोड़ते हैं तो मैं खुद में ही टूट जाता हूँ

ज़िंदगी की कहानी में नाता बड़ा ही महत्व रखता हैं तभी तो एक परिवार का रुप ले लेता हैं,आज के समय में परिवार ऐसे टूट रहे हैं कि मानों कोई दर्पण का टुकड़ा जमीन पर बिखर जाता हैं,छोटी-छोटी बातों को विशालरुप दे दिया जाता हैं,ऐसा इसलिए हैं कि लोगों के अन्दर सहनशक्ति खत्म हो रही हैं तभी तो छोटी सी बातो़ पर भी लोग जंजाल का रुप बना लेते हैं,मधुर भाव भी खत्म हो रही हैं,ओर आपस में नाते भी टूटे जाते हैं,आज के ज़माने में धैर्यवान बहुत कम इंसान के अन्दर नज़र आते हैं,खुद के परिवार से मिले तथा बात किये काफी दिन हो जाते हैं,एक ही घर में रहते हैं,फिर भी सही तरीक़े अपने परिवार से बात नही करते हैं,


जिंदगी जीने के लिए हर पल बराबर नही होता हैं,कभी-कभी बुरे पल का भी सामना करना पड़ता हैं,हर समय बुरा वक्त बुरा नही होता हैं,कभी बुरे वक्त भी हमें कुछ ना कुछा सीखा कर ही जाता हैं,ज़िंदगी के दौर में कभी खुशियाँ तो कभी दुखिया आते-जाते रहते हैं,ज़माने के लोग ख़ौफ़ में रहते हैं ऐसा तभी होता हैं जब वह लोग तनाव में ग्रस्त रहते हैं,खुशी दूर-दूर नज़र नही आता हैं,मन में भी जिज्ञासा रहता हैं कि कभी ना कभी खुशियाँ की द्वार तो आयेगी,इसी जिज्ञासा में लोग बुराईयों से लड़ते रहते हैं








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