section): हम कहाँ से आये है? मरने बाद कहाँ चले जाते है ? हम लोगों को किसने बनाया है?

हम कहाँ से आये है? मरने बाद कहाँ चले जाते है ? हम लोगों को किसने बनाया है?

हम कहाँ से आये है? मरने बाद कहाँ चले जाते है ? हम लोगों को किसने बनाया है?

ज़िंदगी में कही बार इन सवालों का जवाब ढूँढते निकलते,लेकिन इसका सही जवाब कभी नही मिलता हैं, इसका कारण यह हैं कि इस सवाल का जवाब किसी के पास नही हैं,कुदरत ने कुछ चीजें मनुष्य से छिपा रखी हैं,क्योंकि हम लोग कुदरत के अंश माने जाते हैं,अगर सभी चीजें मनुष्य को बता चल जायेगा तो विनाश निश्चित हैं,मनुष्य के अन्दर भी एक शैतान का रुप होता हैं, वह बाहर जब निकलता तब उसकी अंहकार की भावना इसके माथे पर मँडरा रही होती हैं,इसलिए कुदरत ने सभी चीजें को ध्यान में रखते हुऐ कुछ चीजें रहस्य की माया में डाल देती हैं,इसका जवाब ढूँढते-ढूँढते इंसान की जीवन भी समाप्त जाती हैं,इन सभी सवालों का जवाब कभी नही मिलती हैं,सच बोलूँ तो कभी ईश्वर से मुलाक़ात नही हुई,लेकिन कुदरत का अहसास हमें जरूर हुआ हैं इसलिए मैं तो कुदरत को ही विधाता का दर्जा देता हूँ,समस्त लोगों के अंग में कुदरत के ही अंग पाये जाते हैं,ओर हम लोग कुदरत के परिवार को हटाते रहते हैं,कही जगहा आप ने देखा होगा की पेड़ों की कटाई इतनी रफ्तार से होती हैं कि पलभर में कभी अधिक पेड़ काट दिये जाते हैं

कुदरत भी किसी भगवान से कम नही हैं

मनुष्य को जिवित रहने के लिए सभी प्रकार की पोषण आहार हमें कुदरत के अंग से ही प्राप्त होता हैं,लेकिन हम लोग कुदरत को भगवान के रुप में क्यों?नही स्वीकार करते हैं,सही तरीके से मना जाये तो कुदरत ही हम लोगों का भगवान हैं,परन्तु आज के ज़माने के लोग ऐसा मानने से मना कर देते हैं,हम लोगों को कुदरत को ही सब कुछ मानना चाहिए,क्योंकि हमारे जीवन में जितनी भी चीजें होती हैं सब कुदरत से ही प्राप्त होती हैं,इसलिए लिए कुदरत से नाता कभी मत तोड़ना,नही तो ज़िंदगी से ही नाता टूट जायेगा,चाहे हम कितने भी तनाव में रहे,परन्तु आकाश छाया हमारी आँखें पर आते ही सब कुछ भूल जाते है ओर नयी सोच में डूब जाते है यही तो कुदरत की शक्ति का पहचान हैं

कुदरत को हम लोग भूल रहे हैं,उसका परिवार भी उजाड़ रहे हैं ऐसा क्यों कर रहे हम लोग?

कुदरत का परिवार होता हैं,जितने भी जिवित प्राणी हैं वह सब कुदरत के परिवार के अंग माने जाते हैं,चाहे वह इंसान क्यों?ना हो,लेकिन सच यह हैं कि हम लोग ही कुदरत के परिवार को हमेशा नष्ट करने में लगे रहते हैं, लेकिन कुदरत भी मौन होकर अपनी वेदना को देखता रहता हैं, इंसान भी इस चीज़ को समझता ही नही,थोड़ा सा अधिक पैसा मिलते ही वनों की कटाई ऐसे करते हैं कि वन उनका दुश्मन हो,देखो वन हमारे प्रकृति के सबसे बड़े परिवार मना जाता हैं,अगर ऐसा ही चलता रहा इस धरती पर विनाश की तुफान जल्दी ही आयेगी,आज भी लोग लापरवाही की तरह इन चीज़ को देखते रहते हैं,समझ जाओ कुदरत की पुकार को,



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