section): ठंडी हवा हमें क्यों लुभाती हैं?आकाश हमें क्यों अच्छा लगता है

ठंडी हवा हमें क्यों लुभाती हैं?आकाश हमें क्यों अच्छा लगता है

ठंडी हवा हमें क्यों लुभाती हैं?आकाश हमें क्यों अच्छा लगता है

क्योंकि ठंडी हवा में जल के कण पाये जाते इसलिए हमारे शरीर को वह लुभाती है अगर आप आकाश की ओर देखते हो तो शाम के समय तो काफी खुबसुरत लगता है हमारे ब्रह्मांड  अनंत कण पाये जाते है सभी कणों में अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा मौजूद होती है वह ऊर्जा की किरण इतनी चमकती है की धरती पर उसकी प्रकाश नया रुप ले लेता है जिसे देखकर मानव भी कुदरत की चमत्कार समझता है परन्तु इसकी सुन्दरता धीरे-धीरे शहरे में खत्म हो रही है इसका कारण हैं की रात के समय लोग अपने घरों में तेज रोशनी वाली बल्ब का उपयोग करने लगे हैं जिसके कारण से ब्रह्मांड की रोशनी ऊपर ही ठहर जाती है,

आने वाले पीढ़ी हमें हकदार क्यों समझेगी?

 गाँव में भी आप ब्रह्मांड की कुदरती रोशनी का अहसास देख सकोगें,परन्तु जैसे-जैसे विकाश की घडी़ आगे बढ़ रही हैं,वैसे-वैसे हमारी प्रकृति के कुछ हिस्से हट रहे हैं क्योंकि गाँव भी अब विकसित हो रहा जिसके कारण प्रकृति नुकसान भी हो रहा हैं मनुष्य भी अपनी सीमा से अधिक उपयोग कर रहे है दिन पर दिन ज़िंदगी हमारी नुकसान की ओर कदम बढ़ा रही है हैं,आने वाले हमारे पीढ़ी हमें इसका हकदार समझेगी

मुझे याद है कि रात बड़ी सुहानी होती थी जब छोटा तब की बात कर रहा हूँ उस गाँव के घरों रोशनी प्रकाश बहुत कम दिखती थी क्योंकि लालटेन की प्रकाश बहुत कम होती थी लोग अपने घरों में लालटेन की प्रकाश को कम कर देते तथा उसको सोतें वक्त बन्द करके सोते थे उस समय कुदरत का नज़ारा देखने वालों का मन शांत हो जाता तथा खुशियों की चादर उसके हाथ में आ गयी हो ऐसा लगता था,मैं कुदरत की ज़िंदगी को बड़े ही नजदीक से देखा हूँ अब वह पल लौटकर कभी भी नही आता है ऐसा मानों की ज़िंदगी की सच्चाई वही से जुड़ी होती थी वक्त बहुत पुराना था पर ज़िंदगी सबसे बड़ा सुहाना था

अगस्त के महीने मुझे ठंड का अहसास होने लगा था,ऐसा दिन आया 27 अगस्त को,

सुबह के पल में जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा आकाश पर हल्का-हल्का सा अँधेरा छाया हुआ था आकाश में तारे काफी साफ नजर आ रहे थे फिर धीरे-धीरे ठंडी हवा चलने लगी, मेरे शरीर पर कपड़े भी नही थे ठंडी हवा मेरे शरीर को छूकर निकल रही थी,परन्तु ये ठंड हेमंत ऋतुएँ का अहसास दिला रही थी मुझे समझ मैं आ गया था कि ये कुदरत भी मानव शरीर को संकेत दे रहा था,क्योंकि ठंडी हवा का आना तो लगा रहता परन्तु हेमंतऋतु का अहसास तभी होता जब हेमंत का आगमन चालू हो जाता हैं, मुझे ऐसा लग रहा था कि हेमंतऋतु अपनी ओर खिंच रहा है आने का संकेत कही बार मुझे दे रहा है मैं बैठा-बैठा कुदरत का नज़ारा देख रहा था फिर धीरे-धीरे सूर्य की लालिमा धरती को उजाले की ओर लेके जा रही थी मैंने सूर्य की लालिमा बड़े ही गजब ढंग से देखा था ऐसा प्रतीक हो रहा था मानो कोई रंग घोलकर आकाश में चारों ओर फेंक दिया हो 



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