section): भोर में कही जाओ क्या होता है?

भोर में कही जाओ क्या होता है?

जब मेरी नींद खुली तो हल्का सा तमस की छाया था ओर सूरज की उगती लालिमा मेरे आँखों छू रही थी तभी कुछ क्षण के लिए मैं कही खो सा गया था,ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कोई मेरे करीब आ रहा था मुझे ये अहसास देखकर मुझे आनंद की अनुभूति हो रहा था धीरे-धीरे मेरे कदम ओस की बूँदों पर पड़ने लगे तभी,मैंने देखा की खेतों में आती कुछ परिंदों की कतार नजर आ रहा था फिर मेरी आँखें गगन की ओर मुड़ गयी,परिंदों की आहट से मेरी वक्षस्थल को शांति तथा एक अलग प्रकार सुकून मिलने लगा,मैं रोज सुबह इसी चाह में उठता की आज कुछ अच्छे से कुदरत के परिवार से मिलूँगा सुबह के पल में जब निकलता हूँ तो खेतों में उसी वक्त मेरे हाथ धान को छूते हुई निकल जाता है मेरे हाथ भी हवा की तरह धान  की फसलों डहलाती है तब मुझे ऐहसास होता है कि खेती भी महत्वपूर्ण होती है हमारे जीवन में,ऐसा नही है कि फसल को खाने पर ही सुख मिलती फसल को देखने पर भी खुशी की बूँदे भी टपकती है

बैठे-बैठे ज़िंदगी में डूब जाता हूँ

जब भी मैं अकेला रहता हूँ तो ज़िंदगी की सोच में डूब जाता हूँ बीती बातों को ही दोहरता हूँ बीती बातों में भी ज़िंदगी की खुशियाँ मिलती है शायद हम लोग बीती बातों को इस तरह भूल जाते है कि ज़िंदगी कभी ऐसा दौर आया ही नही,जीवन में इतने भी व्यस्त मत होना कि दुनिया को कही भूल बैठे,हम लोग अपने बचपन की दौर बड़ा खुश रहते है क्योंकि वही एक वक्त होता है कि हम लोग जंजाल की दुनिया से दूर रहते है तभी तो मन में किसी प्रकार की जंजाल नही रहती है

ज़िंदगी की मजबूरियाँ बाँध देती कदम को

जैसे-जैसे जीवन ऊँचाई पर बढ़ते रहते है वैसे-वैसे ज़िंदगी की जिम्मेदारियाँ हमें घेरती रहती है फिर भी कभी बचपन का दौर लौटकर नही आता हैं मानों तो कुदरत की आशीर्वाद होती है बचपन की दौर में,हम सब धीरे-धीरे प्रकृति से हटने लगते है क्योंकि मजबूरियाँ लोगों खिंच लेती है तथा अपने घर की आर्थिक विकास के लिए कही निकल जाते है उस जगह पर जाते ही काम पर लग जाते है जहाँ पर सुबह से शाम हो जाता तथा ताजी हवा भी नही मिलती ओर अपनी ज़िंदगी से खुद को जोड़ देते है क्योंकि अगर वह काम नही करेगा तो खायेगा क्या? शायद गरीब लोग इसीलिए कुदरत की दौर से दूर हो जाते है अपने जीवन को नष्ट करने लग जाते है उन्हें इन चीजें का ज्ञान होता है कि कारखानों की निकलती हवा उनके जीवन को कम करता जा रहा है परन्तु पता होते हुए भी अपने परिवार के लिए जीवन को कारखानों में उतार देते है







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