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जीवन में अकेला रहना सीख लेना चाहिए

हमारे जीवन में ऐसे भी दौर आते है जो खुद को एकांत महसूस करवा देता है उस समय आपके करीब कोई नही मिलेगा,इसलिए ज़िन्दगी में अकेला रहना भी एक सीख से कम नही है,ज़िंदगी के हर मोड़ पर आपके करीब रहने वाले लोग बिखर जाते है जो सीधे दिल में ही प्रहार की भावना जाती है इसलिए ज़िंदगी में यादें भी एक महत्वपूर्ण भुमिका निभाती है देखों ज़िंदगी की रफ्तार काफी तेज है उसे रोकना है तो खुद में ही खोना पड़ेगा,शायद हम लोग जब बचपन की दौर में रहते है तो उस समय हम खुद की ज़िंदगी में खो जाते है जाते इसलिए बचपन का दौर स्वर्ग का रुप माना जाता है देखों ज़िंदगी हर चीज नही सिखाती कुछ अपने आप भी सिखना पड़ता है

कभी-कभी हम ज़िंदगी से हार मान लेते है

ज़िंदगी जीते समय काफी विपत्तियों का भी सामना करना पड़ता है अगर ज़िंदगी में किसी प्रकार का कष्ट ना तो ज़िंदगी का कोई फायदा नहीं कोई कष्ट भी ज़िंदगी भी काफी कुछ सीखाती है इसलिए जो वक्त है वह वक्त आप सह कर भी निकल सकते है अगर आप विपत्ति की दौर में फँस गये तो फिर निकल बड़ा ही मुश्किल हो जायेगा इसलिए को ध्यान देते हुई जीवन कुछ कष्ट को भी स्वीकार करना पड़ता है

हम ज़िंदगी की खोज करते है


अक्सर लोग ज़िंदगी की खोज करते है ये अच्छी बात है क्योंकि हमारी ज़िंदगी भी कुदरत से जुड़ी इसलिए अच्छी जिंदगी के लिए कुदरत से जुड़ना एकदम ठीक लगता है अगर आपका मन कुदरत की ओर जाता है तो ऐसा मान कर चलो की आपकी ज़िंदगी कुदरत के करीब बीतना चाहती है मैं भी कुछ ऐसा ही ज़िंदगी चाहता हूँ लेकिन घर की मजबूरियाँ मेरे कदम को घेर लेती है ओर आगे बढ़ने से रोक लेती है इसलिए मेरे कदम कई बार पीछे की ओर भागती है अगर आगे की ओर बढ़ी तो शायद घर किसी मृत्यु हो जायेगी क्योंकि आर्थिक रुप से मैं कमजोर हूँ फिर धीरे-धीरे सब कुछ साथ लेकर चलता हूँ मुझे बता है की शायद ऐसी ज़िंदगी दोबारा ना मिल सके इसी उम्मीद को लेकर मैं हमेशा कोशिश पर कोशिश करता रहता हूँ

मेरे भी सपने है पर जिंदगी कुछ अपने है

मैं आपना नाता कुदरत से भी जोड़ता हूँ क्योंकि कुदरत भी हमारा पालन पोषण करता है पर कही लोगों ऐसा लगता हैं क्योंकि उन्होंने कभी कुदरत को महसूस करके देखा ही शायद इसलिए कुछ लोग कुदरत लोग मानते ही नही परन्तु मेरे अंग से जुड़ा है कुदरत,सच कहूँ तो जिंदगी जीने का आनंद तभी होता जब हम कुदरत के आँगन में बैठे हो




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